Thursday, February 7, 2008

दूरदर्शन

दूरदर्शन का छोटा पर्दा उंगली ऊपर सदा मचलता
एक नहीं दो नहीं सैंकड़ो चैनल अदला बदला करता
शक्तिशाली इस डिब्बे में घूम रही आकाश तरगें
बचपन इसमें आज भटकता यौवन है बेडोर पतगें
सब चैनल अडल्ट हो गये रिश्तों की मर्यादा टूटी
बच्चों के संग क्या हम देखें परिवारों की किस्मत फूटी
जोड़ सके जो इस माटी से डब्बा ऐसा राग सुनाये
देशभक्ति का नवल गीत ले जन मन में जोश जगाये
इस डिब्बे में कब आयेंगे बाल्मिकी कवि सूर कबीरा
तुलसी बाबा की रामायण कृष्ण भक्ति में पागल मीरा
शक्तिशाली इस डिब्बे को आओ हम कुछ ऐसा कर दें
राष्ट्र प्रेम के संस्कारों से इस पावन डिब्बे को भर दें ।

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