नया विधेयक परिसीमन का आया है
नव खुशियाँ और नया सवेरा लाया है
दशकों से जो कुर्सी को हैं तोड़ रहें
चेहरा उनका लगता कुछ मुरझाया हैं
Monday, February 25, 2008
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कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
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