अग्र-शिरोमणि अग्रसैन ने
अग्रोहा निर्माण किया था
एक रूपैया, एक ईंट से
नवयुग का आह्वान किया था
अपने पावन दिव्य-तेज से
कैसा सुन्दर बाग़ लगाया
महक रहा है सारा भारत
पाकर जिसकी अनुपम छाया
दान, दया, करूणा के सागर
हे भारत के भाग्य-विधाता
युगों युगों से गुँज रही है
तेरे पुत्रों की यश गाथा
हे महाराजा अग्रसैन जी
अभिनन्दन स्वीकार कीजिए
जीत सकें हम जन मानस को
हमको यह वरदान दीजिए
Tuesday, January 29, 2008
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