अणु-शक्ति के सन्धानों में
भारत की ख़ुद्दारी है
अपने दम-ख़म, अपने बल पर,
जीने की तैयारी है
पास-पड़ौसी जब देखो तब
आँख दिखाने लगते हैं
भाड़े के हथियार उठाकर
रौब जमाने लगते हैं
शान्ति-सुलह का अभिनय करते
सीमा में घुस आते हैं
सन्धि-वार्ता का धोखा दे
हमले करते जाते हैं
सहनशीलता की भी मित्रो !
इक निश्चित हद होती है
हद से ज़्यादा सहन करो तो
दुनिया मे भद होती है
दुश्मन सर पर चढ़ आए तो
ज़ाहिर है लड़ना होगा
हमको दुश्मन के नहले पर
दहला अब जड़ना होगा
इंच-इंच धरती भारत की,
प्राणों से भी प्यारी है
अणु-शक्ति के सन्धानों में
भारत की ख़ुद्दारी है ॥
महावीर, गौतम के वंशज
गाँधी के हम अनुयायी
सत्य, अहिंसा, विश्व-शान्ति की
संस्कृति हमने ही पायी
नहीं किसी की सीमाओं में
हमने अपना पाँव रखा
मानवता है धर्म हमारा
हमने सबको कहा सखा
शिवशंकर बनकर धरती का
हमने सारा ज़हर पिया
नेत्र तीसरा मत खुलवाना
दुश्मन को सन्देश दिया
भारत है अवतार शक्ति का
दुनिया को यह भान हुआ
‘अणु-शक्ति है दुष्ट-दलन को’
कहने का सम्मान हुआ
स्वाभिमान से सर ऊँचाकर,
जीना शर्त हमारी है
अणु-शक्ति के सन्धानों में
भारत की ख़ुद्दारी है ॥
अभिनन्दन, अपने वीरों का
जय तेरी भारत सरकार
जय हो भारत के वैज्ञानिक
पाया तुमने सबका प्यार
जय हो भारत, तेरी जय हो
गूँज उठा नीला आकाश
पाँच धमाकों से भारत में
जाग गया नूतन विश्वास
धन्य-धन्य धरती राणा की
धन्य पोखरण तेरी धूल
पास-पड़ौसी सावधान हों
माफ़ नहीं होगी अब भूल
‘दादाओं’ की दादागीरी
अब हमको स्वीकार नही
अपने गौरव की रक्षा का
क्या हमको अधिकार नही ?
अपने भारत की रक्षा की
हम पर ज़िम्मेदारी है
अणु-शक्ति के सन्धानों में
भारत की ख़ुद्दारी है ॥
Tuesday, January 29, 2008
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