कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
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Sunday, December 23, 2007
बन्दर
तुझमे मुझमे क्या है अन्तर झांक रहा हूँ मुहं के अन्दर जो मैं पुरखा हूं मानव का तूं क्यूं लडकी मैं क्यूं बन्दर
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