Thursday, May 27, 2021

हर सप्ताह 12.0

 तृप्ता-कालू के राजदुलारे नानक जी
बहन नानकी जी के प्यारे नानक जी

गृहस्थ धर्म भी बाबा ने स्वीकार किया
बने सुलखणी के भरतारे नानक जी

कातिक की पूरणमासी को जन्म लिया
रहे सदा ही न्यारे न्यारे नानक जी

साधु सेवा को सच्चा सौदा माना
खर्च कर दिए पैसे सारे नानक जी

जात-पात के हर बंधन को तोड़ दिया
लंगर के हैं अजब नजारे नानक जी

निर्गुण भक्ति में कविताओं को रच डाला
काव्य जगत के ग़ज़ब सितारे नानक जी

परमपिता का ही हरदम गुणगान किया
सिक्ख पंथ के थे उजियारे नानक जी

मानव-सेवा  धर्म  बड़ा  है  समझाया
तन-मन-धन सेवा हित वारे नानक जी

ढोंग  और  आडंबर  अस्वीकार  किया
असत् पंथ को नित्य बुहारे नानक जी

लहणा सिंह को तख़्त बिठाकर मान दिया
अंगद-गुरु  के  परम  सहारे नानक जी

शत-शत वन्दन अभिनन्दन स्वीकार करो
'चेतन'  गाता  गीत  तुम्हारे  नानक जी

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