Friday, June 17, 2022

हर सप्ताह 52.0

 धर्म अहिंसा को अपनाता, वो जैनी है

सब जीवों को गले लगाता, वो जैनी है


अंडा-मछली-मीट से रहता दूर हमेशा

शाकाहारी जो हो जाता, वो जैनी है


तंबाकू , गुटका और मदिरा में डूबे सब 

इनसे सदा मुक्ति जो पाता, वो जैनी है 


घोर मिलावट, नकलीपन का रस्ता तज कर

सदाचार का मंत्र गुँजाता, वो जैनी है


टैक्स चुराना चलन हो गया जब समाज में

शुचिता से व्यापार चलाता, वो जैनी है


जाति भेद-मजहब के झगड़े जिसे न भाते

मानवता के नग़मे गाता, वो जैनी है 


क्षमाभाव को मन में धारण करता हर पल 

जन-जन में सौहार्द जगाता, वो जैनी है


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