जो सेवा को हाथ बढ़ाए, अग्रवाल है
राष्ट्र एकता पाठ पढ़ाए, अग्रवाल है
मंदिर-प्याऊ-गौशाला बनवाए जनहित
जो सेवा का भाव जगाए, अग्रवाल है
आस-पास में कोई पीड़ित दिखे कहीं तो
उसके आँसू पौंछ के आए, अग्रवाल है
महालक्ष्मी को कुल की देवी माना जिसने
घर-घर में जो कमल खिलाए, अग्रवाल है
'एक रुपैया - एक ईंट' रखता है सँग में
सबको अपने गले लगाए, अग्रवाल है
गाँव-शहर की बहन बेटियाँ समझे अपनी
मान-तान झट उन्हें थमाए, अग्रवाल है
भंडारे और खानपान की चिंता करता
दान-पुण्य कर ख़ुश हो जाए, अग्रवाल है
रामकथा और कथा-भागवत यज्ञ रचाकर
हर दिन ईश्वर के गुण गाए, अग्रवाल है
कुँआ-बावड़ी, ताल-तलैया बनवाकर जो
भागीरथ बनकर मुस्काए, अग्रवाल है
टैक्स चुकाए जो ईमान से अपना पूरा
मुद्रा का भंडार जुटाए, अग्रवाल है
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