Thursday, May 27, 2021

हर सप्ताह 31.0

 भूलो सभी धमाल साथियो ! कोविड में
कैसा रंग गुलाल साथियो ! कोविड में

चाय नहीं फिर से काढ़ा पीना होगा
खाओ रोटी - दाल साथियो ! कोविड में

अस्पताल फिर - फिर सपनों में आता है
बीता पूरा साल साथियो ! कोविड में

बाँचो तुम अख़बार या कि टी.वी. देखो
बिगड़ा सबका हाल साथियो ! कोविड में

बर्तन - झाड़ू - कपड़े धोना याद हमें
भूले अपनी चाल साथियो ! कोविड में

सरस्वती के मंदिर फिर से बंद हुए
शिक्षा है बदहाल साथियो ! कोविड में

कविता के दरबार मिलें सूने - सूने
कैसा आपतकाल साथियो ! कोविड में

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