लोकतंत्र की शान द्रोपदी मुर्मू है
Friday, June 24, 2022
हर सप्ताह 80.0
Thursday, June 23, 2022
हर सप्ताह 79.0
आतंकों की फसल उगाते भारत में
घृणा और नफ़रत फैलाते भारत में
जब देखो तब दंगों का डर फैलाते
पाकिस्तानी नगमे गाते भारत में
एक पैगंबर छोड़ कोई स्वीकार नहीं
टेलीविजन पर धमकाते भारत में
छवि हमारी धूमिल करने दुनिया में
बिना बात का शोर मचाते भारत में
जो किताब में लिक्खा वो बोला, फिर क्यों
शर्मा - जिंदल पर गुर्राते भारत में
अरब हमारे ठेकेदार नहीं हैं जो
बेमतलब ही टाँग अड़ाते भारत में
मस्जिद और मदरसे यही सिखाते
क्या
जुम्मे को पत्थर बरसाते भारत में
हर सप्ताह 78.0
हिन्दू-मंदिर तोड़ने वाला, ओरंगजेब तुम्हारा है
राज खुला तो मुंह पर ताला, ओरंगजेब तुम्हारा है
गर्दन काटी और जनेऊ-संतों का अपमान किया
काम किया जिसने हर काला, ओरंगजेब तुम्हारा है
भोले-शंकर की काशी में मस्जिद को तामीर किया
जिसने तोड़ा भव्य शिवाला, ओरंगजेब तुम्हारा है
कृष्ण-जन्मभूमि कब्जा कर, हर सनातनी सीने में
घौंप रखा है जिसने भाला, ओरंगजेब तुम्हारा है
मां-बहनों की इज़्ज़त से जिसने हर दिन खिलवाड़ किया
दरबारों में मदिरा-प्याला, औरंगजेब तुम्हारा हैं
गौ-हिंदू की रक्षा के हित तेग बहादुर लड़े-मरे
उनका शीश काटने वाला, ओरंगजेब तुम्हारा है
अपना बाप बनाकर बंदी, भाइयों को मरवा डाला
पापी का था शौक निराला, ओरंगजेब तुम्हारा है
हर सप्ताह 77.0
मंदिर-मंदिर फैला है अभिशाप तुम्हारा
हर सप्ताह 76.0
आपस में हो भाईचारा बुद्धम शरणम गच्छामि
वैशाख पूर्णिमा को अवतारा बुद्धम शरणम गच्छामि
सत्य अहिंसा औ' करुणा का भाव जगाया दुनिया में
चहुंओर फिर गूंजा नारा बुद्धम शरणम गच्छामि
बेटा पत्नी राजपाठ सब छोड़ हो गए संन्यासी
सारे जग पर ख़ुद को वारा बुद्धम शरणम गच्छामि
थाईलैंड, तिब्बत या लंका चीनी हों या जापानी
करते हैं गुणगान तुम्हारा बुद्धम शरणम गच्छामि
तोप मिसाइल टैंक परमाणु सभी शांति की ख़ातिर हों
फुले-फले जगत ये सारा बुद्धम शरणम गच्छामि
अगर बचाना इस दुनिया को युद्ध छोड़कर बुद्ध बनो
धरती पर गूंजे जयकारा बुद्धम शरणम गच्छामि
जाते-जाते भगवन बोले अपना दीपक स्वयं बनो
मन मंदिर में हो उजियारा बुद्धम शरणम गच्छामि
हर सप्ताह 75.0
हिंदू-मुस्लिम भाई चारा कैसे हो ?
मंदिर-मस्जिद में ये नारा कैसे हो ?
'तेजो' को खंडहर कर तुमने 'ताज' गढ़ा
शिव-मंदिर में चांद-सितारा कैसे हो ?
सदियों-सदियों 'रामलला' को कैद रखा
बोलो हमको 'मोमिन' प्यारा कैसे हो ?
काश्मीर के पंडित बेघर ख़ुद के घर
अमरनाथ का दिव्य नज़ारा कैसे हो ?
काशी में 'वापी' मस्जिद का क्या मतलब
भोले शंकर का भंडारा कैसे हो ?
बंसीवाले की 'कारा' को कब्जाया
मथुरा में बोलो उजियारा कैसे हो ?
भारत में फिर 'पाक' बनाने की साज़िश
बार-बार मां का बंटवारा कैसे हो ?
हर सप्ताह 74.0
ईश्वर का वरदान है माँ
भोली सी मुस्कान है माँ
आँचल में आशीष भरे
सच में ही भगवान है माँ
मुझे सुलाने ख़ुद जागी
ममता का अभियान है माँ
कोख से ही पाला पोसा
धरती सी बलवान है माँ
पापा के हर संकट का
हर उपचार-निदान है माँ
तन से ख़स्ताहाल सही
मन से पर धनवान है माँ
ख़ुद ही मंदिर-मस्जिद है
गीता कभी कुरान है माँ
हर सप्ताह 73.0
मैं ग़रीब, मैं स्वाभिमानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मिट्टी-मिट्टी हुई जवानी, कहते हैं मजदूर मुझे
सड़क, सुरंगे, बाँध बनाता, पुल का भी निर्माता हूँ
ख़ून पसीना राम-कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मैं किसान, मैं मिट्टी से भी सोने को उपजाता हूँ
खेतों की मैं ही निगरानी, कहते हैं मजदूर मुझे
लेपटॉप कंप्यूटर तक भी मैं संचालित कर सकता
आठ पहर का मैं सेनानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मंदिर, मस्ज़िद, चर्च और गुरुद्वारे में जाकर देखो
ईंट-ईंट पर मेरी कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे
हर सप्ताह 72.0
घर आँगन आधार हमारे बाबूजी
करते सबसे प्यार हमारे बाबूजी
पुस्तक कापी खेल खिलौना है उनसे
घर के पालनहार हमारे बाबूजी
मेरी खाँसी तक पर रातों को जागे
मेरी करुण पुकार हमारे बाबूजी
दादा दादी की लाठी हैं चश्मा हैं
लगते श्रवण कुमार हमारे बाबूजी
अम्मा उनसे जब खटपट-खटपट करती
मुस्काते हर बार हमारे बाबूजी
मौन ही साधे रहते हैं अक्सर देखा
पर भीतर चित्कार हमारे बाबूजी
टूटे जूते फटी जुराबें पैरों में
बच्चों की सरकार हमारे बाबूजी
उनके कांधे से दुनिया को देखा है
मेरा तो संसार हमारे बाबूजी
मेरा चेहरा पढ़ना उनको आता है
अनुभव के अंबार हमारे बाबूजी
खेत बेचकर बहना के हाथों मेहंदी
कर्जा और उधार हमारे बाबूजी
हर सप्ताह 71.0
अवधपुरी में दीवाली है, बाबा जी हैं यूपी में
माँ - बहनों की रखवाली है, बाबा जी हैं यूपी में
गुंडागर्दी का इलाज है, जीप कहीं तो बुलडोजर
ना गोली है, ना गाली है, बाबा जी हैं यूपी में
पानी - बिजली का प्रबंध है, गन्ने का भुगतान भी है
खेतों में भी हरियाली है, बाबा जी हैं यूपी में
एक्सप्रेस-वे से जनपद - जनपद , नगर - गाँव सब जोड़ दिये
दसों दिशा में ख़ुशहाली है, बाबा जी हैं यूपी में
रामलला अब 'अवध' विराजे, 'काशी' में बमबम भोले
'मथुरा' फिर वैभवशाली है, बाबा जी हैं यूपी में