Friday, December 4, 2009

पानी



महंगाई की मार से हर कोई बेहाल
आंसू आंसू रो रहा देखो बुरा हाल
देखो बुरा हाल मचा है हल्ला गुल्ला
कैसे कैसे रोज जलेगा अपना चूल्हा
पानी कीमत को प्यारे नही बढ़ाओ
प्यासी हो जायेगी दिल्ली हमें बचाओ

2 comments:

Asha Joglekar said...

sahee kaha pyase t ohum bhee nahee rehana chahte.

निर्मला कपिला said...

बहुत अच्छी रचना है हम ने तो आँसूयों को बोतल मे सम्भाल कर रखना शुरू कर दिया है मुश्किल मे यही काम आयेंगे